साइक्लोट्रॉन क्या है , कार्य विधि, सूत्र, उपयोग, सिद्धांत एवं चित्र | Cyclotron in hindi

साइक्लोट्रॉन (Cyclotron) - जैसा की आप जानते है की साइक्लोट्रॉन एक युक्ति है जिसकी एक कार्यविधि है, सूत्र है, उपयोग है, और उसका सिद्धांत है जिसके आधार पर यह कार्य करता है। तो आज हम जानेंगे की साइक्लोट्रॉन क्या है ? (what is cyclotron in hindi ?) , cyclotron class 12th in hindi

cyclotron ka karyvidhi, sutra, upyog, sidhant aur chitra | Cyclortron in hindi
साइक्लोट्रॉन (Cyclotron)
 

इस आर्टिकल में आप सीखेंगे -



साइक्लोट्रॉन क्या है ? (What is cyclotron in hindi ?)


साइक्लोट्रॉन एक ऐसी युक्ति है जिसका उपयोग प्रोटॉन जैसे आवेसो को त्वरित करने के लिए किया जाता है। ये त्वरित आवेस ही नाभिकीय  अभिक्रिया को कराने में सहायक होते है। 

नोट- इस नाभिकीय अभिक्रिया के पश्चात ही ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसे नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy) कहते है। 

साइक्लोट्रॉन का सिद्धांत (Principle of cyclotron in hindi)


जब कोई आवेश चुंबकीय क्षेत्र में समकोण पर गति करता है तो यह वर्णन करता है कि वृत्ताकार पथ द्वारा दिया गया है-

साइक्लोट्रॉन का चित्र 


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साइक्लोट्रॉन का चित्र 

यह है साइक्लोट्रॉन की real image जिसे ऊपर आप देख रहे है। 

साइक्लोट्रॉन की कार्य विधि (Working of Cyclotron)



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साइक्लोट्रॉन का डायग्राम 

माना की दो धातु डीस (D1 और  D2) के केंद्र पर एक धन आवेसित कण उत्पन्न होता है। जब D1 धन और D2 ऋण होता है । इस कारण से धन आवेसित कण D1 से D2 की तरफ बढ़ने लगता है। इसी दौरान चुंबकीय क्षेत्र NS (उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव) उसके गति के लंब पर होता है और आवेसित कण वृत्ताकार पथ पर घूमने लगता है। 

जब आवेस आधी चक्कर को पूरी कर लेता है उसी दौरान प्रत्यावर्ती धारा (AC) की वजह से डीस का धुव (धन और ऋण) परिवर्तित हो जाता है। और आवेस की गति पहले से अधिक तीव्र हो जाती है और आवेस ज्यादा ऊर्जा और लंबे त्रिज्या के साथ गति करने लगता है। तथा यह प्रक्रिया बार-बार होती रहती है जिसके कारण से अंत में आवेस तीव्र गति और त्वरण के साथ विंडो W से बाहर आ जाता है। 

साइक्लोट्रॉन की दोष/ सीमाएं 


साइक्लोट्रॉन  एक ऐसा यंत्र है जो काफी उपयोगी है लेकिन इसके कुछ दोष यानि की सीमाएं भी है जो नीचे दिए गए है-
  • यह केवल भारी जैसे - प्रोटॉन, अल्फा कण आदि  आवेसित कणों को ही त्वरित करता है। 
  • आवेसित कणों को त्वरित करने के लिए प्रत्यावर्ती धारा (AC) की आवृति और आवेसित कणो के चक्कर की आवृति बराबर होनी चाहिए अन्यथा आवेसित कण त्वरित नहीं होंगे। 
  • आइन्सटाइन के सापेक्षता कथन के अनुसार आवेसित कणों की गति जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे-वैसे द्रव्यमान भी बढ़ता है। जिस कारण से युक्ति (device) अर्थात साइक्लोट्रॉन  की क्षति भी हो सकती है। 
तो ये है कुछ सीमाएं जो साइक्लोट्रॉन को सीमाओ के अंदर बांध कर रखती है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 


Q: साइक्लोट्रॉन का आविष्कार किसने किया ?


साइक्लोट्रॉन का आविष्कार Ernest O. Lawrence ने 1929-30 में यूनिवर्सिटी ऑफ कालीफॉर्निया में किया । 

Q: साइक्लोट्रॉन का उपयोग क्या होता है ?


साइक्लोट्रॉन  एक विद्धुत संचालित यंत्र है जिससे एलेक्ट्रोनस का किरण निकलता है जिसका उपयोग चिकित्सक, औद्योगिक और रिसर्च कार्यों में किया जाता है। 

Q: साइक्लोट्रॉन का आवृति क्या होता है ?


साइक्लोट्रॉन की आवृति   के बराबर होती है। 

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मुझे यह पूरी उम्मीद है की आपको यह समझ आ गया होगा की cyclotron kya hota hai ? तथा उसके कार्यविधि, सिद्धांत, और उपयोग भी आपको पूरी तरह से clear हो गया होगा। यदि यह जानकारी पसंद आई तो इसे अपने मित्रों के साथ जरूर शेयर करे। क्योंकि Sharing ही Caring है । 
धन्यवाद !

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